मेरा नाम पुतूल देवी, उम्र-28 वर्ष है। मैं ग्राम-चुटियारो, पोस्ट-चुटियारों, थाना-जयनगर प्रखण्ड जयनगर, जिला-कोडरमा (झारखण्ड) की मूल निवासी हूँ।
घटना तब की है जब शादी के दो तीन माह बाद एक बार हम घर में रोटी बना रहे थे, उस समय मेरी सास पुछी-रोटी बना कि नही, उस समय दो तीन रोटी बनाने को बाकी थी। मेरी साॅस जाकर सो गई, हम जाकर खाना खाने के लिये कहे,ं हाॅथ पकड़े, पैर पकड़े, पर वो नही खाई। मैं पैर में तेल लगाने गयी तो वो भी नही लगाई। दिन में मेरी साॅस मेरे पति को बढ़ा-चढ़ाकर सुना रही थी। अचानक मेरे पति उठे और हाॅथ और लात से मारकर मेरा पुरा मुॅह, कान फुला दिये।
उसके बाद मैं खूब रोई, चिल्लाई, लेकिन कोई नहीं सुना। शाम को मेरी साॅस डाक्टर के पास ले गई और डाक्टर को बोली कि सीढ़ी से गिर गई। इस तरह तब से हमेशा मेरे साथ होने लगा। हमे घर से निकलने तक नही दिया जाता था, जहाॅ जाती थी, वहाॅ मेरी साॅस पीछे-पीछे जाती थी। मैं कुछ दिनों के लिए मायके चली आई। जब मेरे पति हमे लेने आये और जब शाम को ले जा रहे थे, तो बोले चलो न नास्ता में रोज मार ही मीलेगा। इस बात को हम ध्यान मंे नही लिये और पति के साथ अपने ससुराल चले गये। वहाॅ गये तो साॅस गाली देने लगी और मेरे पति को यह कहकर सुनाने लगी कि लड़का रखी है, उससे बात करती है, दोस्त बनाई है, इस तरह बोल के कान भर दी, उसी समय सबके सामने बैठाकर भद्दी-भद्दी गाली भी दी, यह मेरे बर्दास्त से बाहर हो गया।
मै बहुत रोई और इतना सहने से अच्छा मर जाना उचित समझी और अपने रूम में आकर बुखार की गोली खा लिया और घर (मायके) फोन करके बोली कि आप लोग आईये, ये लोग हमे मार रहे है। इतना फोन करते देख मेरे पति हमें बहुत मारे, उनके मार व दवा के असर से हम बेहोश हो गये तब तक हमारे घर वाले पहुॅचे हमारे साॅस व ननद मिलकर मेरी माॅ और बहन को बहुत मारी और घर से निकाल दिया। हमें एक खाट पर लिटाकर खाट के नीचे आग का (बोरसी) हॅड़ीया रखकर उसमे मिर्च देकर जला रहे थे, मिर्च के गंध से मैं छिकती थी तो मेरी साॅस मेरे मुॅह पर पानी का छिटा मारते थे। 2 द्य च् ं ह म
डाक्टर को देखने के लिए बुलाये तो डाक्टर बोला ठीक है बेहोश हो गई है। यह सुनकर मेरी साॅस आग में छोलनी (सब्जी बनाने वाला) से मेरी पैर में दाग दिया, जिससे मेरा दोनो पैर जला गया, मेरा बाल जला दी, यह बोलकर कि इसको भुत पकड़ लिया है। तब तक पुलिस पहुँची और हमें लाकर नर्सिग होम पार्वती क्लिनिक में भर्ती कराकर इलाज कराया तब जाकर हमें दिन के 9 बजे तक होश आया, मैं 10 बजे रात बेहोश हो गई थी और होश आने पर हमे पता चला कि हमारे साथ इस तरह घटना घटी।
आपको घटना के बारे मे बताकर ऐसा लग रहा है कि हमारे ऊपर जो जुल्म हुआ है, उससे मुझे न्याय मिलेगा और मेरा घर परिवार ठीक हो जायेगा।
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