भारत के संविधान में लोगों को मान सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार निहित है। भारत के वर्षों पुराने इतिहास में गुलामी प्रथा था, पर आजाद भारत में भी भारतीय संविधान के द्वारा अनुच्छेद 21 का उल्घंन ईट भट्ठो, कल कारखानों के मजदुरो के साथ आम बात है। गुलामी की कहानी पीड़ित गीता की जुबानी।
मै गीता देवी उम्र-40 वर्ष पति कामेश्वर माझी ग्राम-सरबदाय, पोस्ट-सरवदाय, थाना-फतेहपुर, जिला-गया बिहार की मूल निवासिनी हूँ।
मेरी घटना यह है कि मेरा जीवन अच्छा खासा गुजर रहा था। मेरे पाँच बच्चें हैै, मैं अपने पति के साथ ईट के भट्ठे पर काम करने जाती थी। हम कई जगह ईट के भट्ठे पर काम किये लेकिन मेरे साथ ऐसा नही हुआ। जैसा हम अपने ही गाँव में रामाशीश यादव बेटा दिलीप यादव के भट्ठे पर काम करने के दौरान हुआ। हम उसके भट्ठे पर काम करने जाने लगे काम करते लेकिन वो पैसा नही देता हम उसको एक दिन बोले की हमलोग आपके भट्ठे पर काम नही करेगेें। आप पैसा नही देते है। उसी दिन वो मेरे घर आया और 2000/- दो हजार रुपया देने लगा। हम पैसा नही लिये। क्योंकि हमलोग का ज्यादा पैसा निकल रहा था। हम मना किये लेकिन वो नही माना और कहने लगा की अब पैसा नही होगा और बोला की मेरा कोटा (राशन डीलर) का दुकान है, वही से चावल ले आना तो फिर हम पैसा ले लिए उसके बाद हम दोनो पति पत्नी उसके भट्ठे पर काम करने लाने लगे हम उसके भट्ठे पर तीन साल काम किये लेकिन वो एक पैसा नही दिया। उसके दुकान में जो भी सडा-खराब अनाज होता वही दे देता था। हम उसको फिर एक दिन बोले की मेरी बेटी बड़ी हो गयी है। हमको बेटी का शादी करना है तो वो बोला की ठीक है, तुम अपनी बेटी का शादी तय करो जितना लगेगा उतना हम पैसा दे देगे। हम उसको कहने पर अपनी बेटी का शादी तय कर दिये जब शादी तय हो गया, हम उससे पैसा मांगे तो वो नही दिया हम परेशान हो गये। हमको पागल जैसा लग रहा था कि अब क्या करे कहा से पैसा लाए तो फिर हम शुद्ध (ब्याज) पर पैसा उठाये और अपनी दोनों बेटियों का शादी किये। उसके बाद हम उससे फिर पैसा मांगे तो वो नही दिया हम उसको बोले की हम कर्जा उठा कर अपनी बेटी का शादी किये है वो हमसे पैसा मांग रहा है। आप हमको पैसर दिजीए या फिर हम आपके यहां काम नही करेगे तो वो एक दम चिल्ला कर बोला की तुम लोग चुप चाप काम करो क्योंकि मेरा ही पैसर तुम्हारे पास बाकी है। काम करो और पैसा वसुल करो जब हम उसको पुछे की कैसे पैसा निकलेगा तो वो उल्टा पल्टा बता दिया और चला गया हम और मेरे पति फिर वही काम करने लगे तो एक दिन अचानाक मेरे पति के हाथ में दर्द हो गया वो उस दिन काम पर नही गये तो उसको दुसरे दिन रामशीश यादव बेटा दिलीप यादव मेरे घर आया और बोला की तुम्हारा पति काम पर क्यों नही गया तो मेरे पति बोले की हाथ में दर्द हो गया था। इस लिये काम पर नही गये तो वो गाली देने लगा शाला भोसडी मार कर काट देंगे बहाना करता है। चुप चाप काम करो नही तो ठीक नही होगा हम उस दिन खाना नही बनाए सारा दिन चिन्ता में बेठे रहे की ना जाने वो क्या कर देगा मेरे पति के साथ हम उसको बोले की हम शुद पर पैसा उठा कर तुमको दे देते है। जितना पैसा तुम्हारा निकलता है। तो वो बोला की हमको पैसा नही चाहिए तुमलोग काम करो उसके बाद मेरे पति बोले की हम आठ दिन से लिए कही जा रहे है। जब हाथ ठीक हो जाएगा तो चले आऐगें मेरे पति वहां से कोडरमा चले आए उसके बाद वो हमको लगातार धमकाने लगा की तुम्हारा पति कहा है। उसको जान मार देगे और मेरा सारा पैसा वसुल करोगी। हम कुछ नही बोले उसके बाद एक दिन हम बाजार से आ रहे थे तो वो मेरे सामने गाड़ी लाकर रोक दिया और बोला साली भोसड़ी गाड़ी पर बैठो और चलो हम तुमको जान से मार देगे हम उसको बोले की हम तुम्मारा पैसा काम कर के वसुल कर देगे तो वो गाली देकर बोला की साली मेरे साथ हम तुम्हारा इज्जत लुट कर तुमको मार देगे और जबरदस्ती गाड़ी में बैठाने लगा उस समय मेरा पुरा बदन काप रहा था, लगा रहा था काटो तो खुन नही इतने में वही से मेरा चेचरा देवर ललन गुजर रहा था वो बोला की तुम इसके साथ ऐसा क्यों कर रहे हो तो वो बोला की इससे पैसा वसुलना है तो ललन बोला ठीक है। कमा करके वसुल कर देगी और वो मुझे अपनी गाड़ी पर बेठा कर वहां से लेकर चल आया मेरे लिए वो भगवान से भेजा हुआ फरीसता था। जिसके कारण मेरी जान और मेरी इज्जत जाते-जाते बची उसके बाद हमको उस आदमी से बहुत डर हो गया हम अपने दोनों बच्चों को लेकर अपना घर दुवार छोड़ कर उसके डर से वहा से भाग कर यहा कोडरमा आ गये हमको यहां आए एक वर्ष हो गया है। हम अपने पति के साथ यहा भी ईट के भट्ठे मंें काम करते है। मेरे दोनों बच्चों का पढ़ाई बर्वाद हो रहा है। उस इन्सान के चलते मेरा हँसता-खेलता परिवार परेशान है।
हम चाहते है हमको हक मिले और उसको उसके किये की सजा मिले ताकि फिर कोई इन्सान किसी गरीब महिला के साथ ऐसा ना करे।
इस केस की अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे sangram.jharkhand05@gmail.com
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