Sunday, 5 July 2020

पैसा ले कर मुख्य आरोपी का नाम हटा: पैसे का रखैल बन गया पुलिस



मै  सुमन कुमार ( काल्पनिक नाम ) पिता स्व0 (रामू  प्रसाद) काल्पनिक नाम  ग्राम गिरीडीह रोड डोमचाॅच कोडरमा झारखण्ड का मूल निवासी हू।
छः सदस्यों का मेरा परिवार पुरी तरह खुषहाल था मेरा अपना राशन का दुकान है। जिसमे मै दिन रात मेंहनत करता हु। इसी से मेरा परिवार का अजीविका चलता है।! अचानक 9 मई 2015 को मेरे दुकान के सामने एक सडक दुर्धटना हुआ।! एक बाईक पर पुरा परिवार पति पत्नी और बच्चे जा रहे थे विपरित दिशा से आ रहे दस चक्का ट्रक की चपेट मे आने से महीला की मौत हो गई। मै देखा तो अपने घर से कपडा ले जा कर महिला के उपर डाल दिया! और अपने दुकान में आ कर काम करने लगें कुछ ही धंटों में वहाॅ इतना भीड लग गया और हमें लगा कि माहौल खराब हो सकता है। तो हम दुकान बंद कर के घर के काम में हाॅथ बटाने चले गये।! प्ुलिस मेरे घर के पास आई तो हम उसे बैठने के लिए कुर्सी दिये और पानी पीलाये और जहाॅ तक हमसे हो सका हम पुलिस को मदद किये! क्योकि मेरे परिवार के लोग भी पुलिस में थे तो बताते थे कि उन्हे किस तरह से कानून के लिए काम करना पडता है। इस लिए हम उन्हे पुरा मदद किये! मेरे पेडोस के लोग भी पुलिस के मदद किये पुलिस रात 2 बजे तक काम किया और फिर चला गया
दुसरे दिन पास पडोस के लोगों से हमें पता चला कि हमारे उपर केस हो गया है।! यह सुन कर तो मेरे पैर तले जमीन खिसक गई हमें बहुत तकलीफ हुआ इस बात का कि पुलिस को पुरा रात सर सर कर उनको पानी पिलाये बैठने को दिये और जहाॅ तक हुआ पुरा मदद किये जिसका ये सिला मिला ईस तरह होने लगे तो मै क्या कोई भी कानून का मदद करने से डरेगा ! तब से मै काफी विचलित रहने लगा था। घर परिवार में बच्चे और पत्नी बहुत परेषान रहने लगी थी और हम अपने परिवार की चिंता को देखते हुए मुखिया वार्ड सदस्य स ेले कर मंत्री तक हाॅथ जोडे और पुरा मामला सुनाये सबने मदद करने की बात कही पर किसी ने मेरा मदद नही किया! पर सभी ने कहा कि पुलिस आनके साथ गलत किया है। इस 10 से 15 दिन में मेरा काफी नुकषान हुआ था दुकान बंद होने के कारण घर में खाने की समस्या तक आ गई थी और हम कर्ज में डुब गये! हम पुरी तरह हताष हो गये थे मेरा हिम्मत नही काम कर रहा था।! टाज तक मेरे उपर किसी भी तरहा का कोई अपराधिक मुकदमा नही था और पुलिस जान बुझ कर हमें फंसा रही थी।।! मेरे अलावे 17 और लोगों का नाम था इस केस में जो बडे पंुजीपति थे और पुरी घटना का जो मुख्य आरोपी दीपक कुमार अग्रवाल जो काफी पैसा वाला है। पुलिस उससे पैसा लेकर उस पर लगे सभी धारा को हटा कर इस केस से उसे मुक्त कर दिया! जब हमें यह पता चला तो लगा कि कानून और पुलिस पैसे का रखैल बन गया है।! इस देष में गरिब को न्याय के लिए कोइ जगह नही है।! जहाॅ पैसा है वहाॅ सबकुछ होता है।! उसके बाद हमें लगा कि पुलिस से हमें मिलना चाहिए यह सोंच कर हम एक दिन डोमचाॅच थाना गये और थाना के बडा बाबु सुधीर कुमार पोद्दार का पैर पकड कर खुब रोये और बोले कर आपको पानी पिलाना ही मेरा दोश है। और हमने कोइ दोश नही किया है! ळम तो आपको मदद किये और आप मेरे साथ इतना बुरा किजिएगा ऐ हमें पता नही था! जे मामले में मुख्य आरोपी था उसका नाम हटा दिये और मेरा रहने दिये! थाना प्रभारी हमको देखा और बोला ठीक है रो मतह म तुम्हे मदद करेगें हम जानते है तुम गलती नही किये हो पर कानून होता है। ना! वे ऐसे बोला मानो मेरा भगवान आज सामने प्रकट हो कर ये वरदान दे रहे हो हमको एैसा लग रहा था मेरा दिल का बोझ कुछ हल्का लग रहा था।  हम घर आये और बच्चों व परिवार को बताये तो उनलोगों के हलक से खाना उतरा और उस दिन मेरा परिवार ठीक से खाना ख पाया था यह देख कर हमें थोडा खुषी हुआ पर दिल में डर बना हुआ था।!
ईसके बाद हम थाना के आई0 ओ0 महेन्द्र यादव से बात किये तो वो बोला कि आप इस केष में किसी भी रुप में दोशी नही है। और  आप पर कोइ कार्यवाही नही होगा इसी बीच वो ट्रांसफर हो गया उसके बाद वो रिटायर हो गया! दुसरा आई0 ओ0 ने फिर हमें इस केस में फसा दिया ! इस तरह हम इस घटना सं पुरी तरह टुट गया हूॅ! टब हमें न्याय की उम्मीद नही दिख रही है।
इस घटना सं हमे न्याय चाहिए और कानून मुख्य आरोपी पर कानूनी कार्यवाही करे हम यही चाहते है। कि किसी गरिब का कानून के प्रति विष्वास न टूटे!


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