मै शंकर साव पिता उम्र 32 श्री लक्ष्मण साव ग्राम तीन तारा पोस्ट
कोडरमा जिला कोडरमा राज्य झारखण्ड का मूल निवासी हु!
मेरे परिवार में मेरे मेरी पत्नी के साथ मेरे 2 बच्चे लड़का के साथ भरा
पूरा परिवार है! हम कोडरमा चौक पर फल का गुमटी लगाते है और किसी तरह अपने परिवार
का जीविका चलाते है!
मेरी घटना यह है 28 जनवरी को शाम में मेरे दोस्त लोग हमें घर छोड़ दिए
थे! मूर्ति विसर्जन के बाद और घर आने के
बाद हम खाना खाने बैठे ही थे की तभी पुलिस
की एक गाडी मेरे घर आया हम एक ही रोटी खाए और हाथ धो कर पुलिस के साथ चल दिए वो
लोग हमें कोडरमा थाना ले गया वहा उतरने के बाद वो लोग के अलाव में हाथ सेकने लगा और
हम बाथरुम के लिए गए उसके बाद हमको कुछ होश नहीं की मेरे साथ क्या हुआ?
अचानक हमको
कोडरमा सादर अस्पताल में दुसरे दिन 7 बजे सुबह हमको होश आया तो मेरे बगल में एक चौकीदार
बैठा हुआ था! हम पेशाब जाने के लिए उठने लगे तो बहुत जोर से पैर में दर्द हुआ उसके
बाद फिर हमारे सीने में भी दर्द महसूस हुआ! और पुरे शारीर में दर्द होने लगा उसके
बाद हम उससे पूछे की हम यहाँ कैसे आये! इस बात पर वो बोला की तुम हमसे मिलने आ रहा
था इस बिच तुम नाली में गिर गया! हम भी सोचने लगे की हम नशा में थे तो अगर कही गिर
जायेंगे तो पूरा शारीर में दर्द कैसे हो जायेगा? फिर हम परेशान हो गए! कुछ देर बाद
मेरे मम्मी पापा लोग अस्पताल पहुचे तब तक चौकीदार वहा से फरार हो गया था किसी
पुलिस वाले ने हमें देखने नहीं गया! जब सदर अस्पताल में एक्सरे करवाने गए तो वहा
का मशीन ख़राब था जिस कारन हमारा एक्सरे नहीं हुआ! उसके बाद सदर अस्पताल से पर्ची
कटवा लिए और कोडरमा के निजी क्लिनिक में इलाज करवाने जाने लगे तो पापा के पास पैसा
नहीं था घर में सबका रो रो कर बुरा हाल था यह सब देख कर मेरा भी आत्मा फट गया और
हम दिल ही दिल में रोने लगे पापा पैसा के जुगाड़ में चले गए मेरी पत्नी को होश ही नहीं
था की क्या हुआ वो हर बार एक ही बात बोल रही थी मेरा पति निर्दोष है वो कुछ नहीं
किया है! पापा किसी तरह 20,000 रुपया कर्ज कर के हमें निजी क्लिनिक में भर्ती
कराये जहा से ईलाज होने के बाद हमें दुसरे दिन धनबाद रेफर कर दिया गया जहा मेरा
इलाज 15 दिन बाद हुआ मेरी माँ मेरे साथ रही उन 15 दिनों में माँ के ऊपर मुसीबत का
पहाड़ टूट गया था! वो बार बार रोने लगती थी! उनका भी तबियत ख़राब हो गया था! पर क्या
कर सकते थे माँ को बस यही बोल कर हिम्मत देते थे की क्या करोगी जो होना था हो गया
अब क्या करे! इस तरह 15 दिन तक माँ भी खाना पीना छोड़ कर मेरे सेवा में लगी रही!
कुछ दिन बाद हमको पता चला की मेरे गाँव में एक आदमी का हत्या हो गया
था उसी मामले में पूछ ताछ के लिए ले गया था! पर हम बार बार यही ख्याल आ रहा है की आखिर
पुलिस मेरे साथ ऐसा क्या पुच ताछ किया की हम अस्पताल में चले गए!
हम चाहते है की मेरे साथ इस तरह की घटना घटी उसके लिए जिम्मेवार कौन
है और हमें जब पुलिस घर से ले गई तो हमें सुरक्षित घर क्यों नहीं छोड़ा!
हम चाहते
है इस मामले में हमें न्याय मिले और जो भी दोषी हो उस पर कौनी कार्यवाही की जाए!
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